सुबह -सुबह अदरक वाली चाय की चुस्कियाँ लेते हुए , जब अखबार पे नज़र डाली तो रोंगटे खड़े हो गये । आँखो के सामने खून में लथपथ तस्वीरें एवं पथभ्रष्ट मानव द्वारा की गयी करतूतों को देखकर दिल रो पड़ा । आखिर कौन है जिम्मेदार इतनी दर्दनाक हादसा का ? तूर्की के ईस्ताम्बुल हवाई अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले में न जाने कितनी बेकसूर महिलायें विधवा हुई होंगी , न जाने कितने लोग अपने परिवार खोये होंगे ! आखिर ये आतंकवादी आते कहाँ से हैं ?ये लोग होते कौन हैं ,क्या इनमें थोड़ी भी दयाभाव या इंसानियत नहीँ होती है ? ये बुजदिल क्रूर आतंकवादी क्या पाना चाहते हैं ?
“आतंकवादी ” नाम सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं । ये लोग किसी दूसरे ग्रह से आये हुए अलिएंस नहीँ हैं बल्कि हमारे बिच ही पले बढे हुए होते हैं । मगर ये इस प्रकार की क्रूर हत्यायें करते क्यों हैं ? दिल में जहाँ एक तरफ़ उन बिखरे हुए परिवारों के बारे में सोच के पीडा हो रही थी , वहीँ दूसरी तरफ़ घोर क्रोध भी आ रहा था और पूरे संसार की चिंता होने लगी कि हमारा समाज और सोच किस तरफ जा रहा है। अकसर मेरी माँ कहती है की बेटा गुस्सा मत किया कर, लेकिन कभी कभी गुस्सा करना जायज होता है बशर्ते वो गुस्सा समाज एवं विश्व कल्याण के लिये होनी चाहिये । यदि आपका गुस्सा स्वार्थ के लिये है तो वह विनाशकारी साबित हो सकता है । परंतु यदि आप समाज के हित के लिये गुस्सा कर रहें हैं तो आपको एक नयी युक्ति मिलेगी उस समस्या से निदान पाने के लिये ।
किसी महात्मा की बात याद आ गयी कि चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए ,और जब चिंतन किया तो ये पता चला कि ज्यादातर आतंकवादी उच्च शिक्षित एवं नवयुवक होते हैं । सदियों से ये बात प्रचलित है की शिक्षा हमारे समाज को एक नयी दिशा प्रदान करती है , विकास की ओर । फ़िर ये इंसान उच्च शिक्षा पाकर भी पथभ्रष्ट क्यों है ? ये पथभ्रष्ट हैं क्योंकि कहीँ न कहीँ हमारे शिक्षा व्यवस्था में कमी है । अभी हाल ही मे ,हैदराबाद मे , NIA के द्वारा छापेमारी में कुछ संदिग्ध नौजवान मिले , जिनका ताल्लुक ISIS संगठन से था । यही नहीँ उनके पास से भारी मात्रा में गोला बारूद और विस्फोटक भी बरामद हुए । अब सवाल यह उठता है की क्यों उन नवजवानों का रूझान पथभ्रष्टता की ओर बढ़ रहा है ? उन्हे किताबी शिक्षा तो मिल रही है , और डिग्री भी मिल रही है , मगर नैतिकता का पाठ उन्हें नहीँ पढाया गया है ।
जिस प्रकार से अपार ,अनियंत्रित एवं शक्तिशाली नाभिकीय ऊर्जा का सदुपयोग करे तो हमें बल्ब से प्रकाश मिलता है । एक इंजिनियर होने के नाते विज्ञान के इस नियम को ज़रूर आपके साथ सांझा करना चाहूंगा -” ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट , इसे केवल एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है ।” ठीक उसी प्रकार से हमारे नवजवानों में भी अपार ऊर्जा का संग्रह है , आज ज़रूरत है तो केवल उस ऊर्जा का सदुपयोग करने की । ये नौजवान पीढ़ी कहीँ आधुनिकता की दौर में पथभ्रष्ट न हो जाए ! इनकी अपार ऊर्जा को बस परिवर्तन करने की ज़रूरत है समाज कल्याण के लीये ।
आतंकवाद से पूरा विश्व जूझ रहा है और यकीनन इससे निपटने के लीये तरकीबे भी सोच रहा है । जहाँ तक मैंने अनुभव किया है कि आतंकवाद से छुटकारा पाना है तो दीवार रहित संसार की ज़रूरत है आज । “दीवार रहित संसार ” , इसका यह अर्थ नहीँ है की दो मुल्कों के बिच सरहदें ना हो , बल्कि इसका अर्थ दो दिलों के बिच जाति ,धर्म एवं भाषा के आधार पर खड़े हुए दीवार से है ।
पूरे विश्व के देश अपनी -अपनी डिफेन्स अर्टिलेरि को बढ़ाने में अथक प्रयास कर रहे हैं । मगर शिक्षा व्यवस्था की ओर किसी का ध्यान नहीँ जाता । मेरा यह मानना नही है की डिफेन्स अर्टिलेरि या सुरक्षा व्यवस्था को ना बढ़ाया जाय । बिल्कुल इसे बढ़ाया जाय मगर इसके साथ ही हमारी शिक्षा व्यवस्था में भी परिवर्तन होना चाहिए ।नर्सरी से ही हमारे बच्चों को नैतिकता एवं इंसानियत का पाठ पढाने में जोर देना चाहिये । ये सिर्फ सरकार की ही जिम्मेदारी नहीँ बल्कि अभिभावकों की भी पुरी जिम्मेदारी बनती है अपने बच्चों को बचपन से ही नैतिकता ,प्यार एवं इंसानियत का पाठ पढाने में बल दें । अंततः मैं अपने देश के नौजवानों से सिर्फ़ एक ही संदेश देना चाहूंगा –
“कुछ भी बनो मुबारक है पर सबसे पहले इंसान बनो।”
॥जय हिंद॥
Good article..bt 90% terrorist attracted towards money they don’t bother abt the mission of a leader…poor background…unemployment are the key factor of entering into terrorist field….
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Exactly Sir if they will be taught the humanity since childhood, they will never get attracted towards money. It’s my opinion.
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भाई आपकी बात सही हें।
Its so heart touching .
Akhilesh Bhai 👍👌
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Shukriya Bhai
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Nice article Bro
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Thanks brother.
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Akilesh very nice article and honest efforts.
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Keep motivating ma’am .
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Nice …..
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Nice article….
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